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ग्रामीणों के लिए उपयोगी सेलफोन

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ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने ग्रामीणों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा सेलफोन तैयार किया है, जो सोलर पावर से चलता है। इसका एक बटन दबाते ही यह स्थानीय टेलीफोन एक्सचेंज से कनेक्ट हो जाता है। इसके बाद एक्सचेंज को नंबर बताने पर ऑपरेटर उसे कनेक्ट कर देता है।

इससे अनपढ़ आदिवासियों को नंबर सेव करने या लगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है। एंड्रयू विलियम्स ने हालांकि यह सेलफोन अफ्रीका के आदिवासियों के लिए बनाया है, लेकिन भारत में भी यह बड़े काम का है, क्योंकि गांवों में अक्सर लाइट नहीं रहती। बेहद सस्ता यह सेलफोन इन दिनों अफ्रीका में काफी लोकप्रिय हो रहा है
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मोबाइल बना रिमोट कंट्रोल


डीटीएच के बाद आया एक ऐसा डीटीएच जिसमें कार्यक्रम रिकॉर्ड हो जाते हैं। और अब डीटीएच में ऐसी सुविधा आई है जिसमें आप बाहर घूमते हुए भी मोबाइल के जरिए घर पर अपने मनपसंद कार्यक्रम को रिकॉर्ड कर सकते हैं। इस तरह से अब आपका मोबाइल फोन रिमोट कंट्रोल बन सकता है।

मोबाइल फोन से अपने सेट टॉप बॉक्स को नियंत्रित (कंट्रोल) करने के लिए आपको अपने मोबाइल पर एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना पड़ेगा। एयरटेल के डीटीएच कनेक्शन के साथ व्यक्तिगत वीडियो रिकॉर्डर खरीदने पर ये सॉफ्टवेयर मिलेगा। इसके बाद आपके मोबाइल फोन का सेट टॉप बॉक्स से कनेक्शन जुड़ जाता है और फिर आपका मोबाइल फोन रिमोट कंट्रोल की तरह काम करने लगता है।
एयरटेल का ये वीडियो रिकॉर्डर करीब 7,000 रुपए का है। इसमें 100 घंटे की रिकॉर्डिंग की जा सकती है। हालांकि टाटा स्काई प्ल्स इससे 1,000 रुपए सस्ता है लेकिन फिर भी एयरटेल को भरोसा है कि उनका उत्पाद ज्यादा बिकेगा। क्योंकी इसमें मोबाइल से नियंत्रित (कंट्रोल) करने का विकल्प है। और जल्द ही कंपनी इसमें कुछ और भी विकल्प जोड़ेगी।

भारत में डीटीएच का पूरा बाजार करीब 2.25 करोड़ कनेक्शन का है। एयरटेल से पहले सिर्फ टाटा स्काई रिकॉर्डिंग की सुविधा दे रहा था।
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You are here: Home > > देश में मोबाइल टीवी की लोकप्रियता बढ़ रही है

देश में मोबाइल टीवी की लोकप्रियता बढ़ रही है

देश में मोबाइल टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार मोबाइल टीवी के बारे में नीति तैयार कर रही है।

देश में खासतौर पर मोबाइल टीवी का शहरों में तेजी से विस्तार हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में 23 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन और करीब 12 करोड़ टेलीविजन सेट हैं। भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीविजन को मोबाइल पर देखने के विचार को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मोबाइल टीवी उपभोक्ताओं के लिए दृश्य सामग्रियों को देखने का एक और तरीका पेश करेगी और साथ ही साथ डिजिटलाइजेशन की चल रही प्रक्रिया का पूरक बनेगी।

एक अनुमान के अनुसार भारत में सन् 2010 तक 50 से 80 लाख मोबाइल टीवी धारक होंगे। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मंत्रालय मोबाइल टीवी के बारे में नीति को अंतिम रूप दे रहा है। मंत्रालय का मानना है कि मोबाइल टीवी टेलीविजन प्रसारण के डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देगा।मोबाइल टीवी का मतलब डीवीबी-एच, डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग, हैंडहेल्ड और डीएमबी डिजिटल मल्टीमीडिया ब्रॉडकास्टिंग जैसी डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग प्रौद्योगिकी के जरिए टेलीविजन प्रसारण को देखना है। नोकिया ने डीवीबी-एच आधारित मोबाइल फोन सेट बाजार में उतार दिए हैं। इन मोबाइल सेटों पर दूरदर्शन के आठ चैनलों को देखा जा सकता।

ट्राई ने हाल में मोबाइल टीवी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी का परामर्श दिया था। ट्राई ने नए तरह के मोबाइल टीवी ऑपरेटर का भी सुझाव दिया है। मोबाइल टीवी के अगली पीढ़ी के प्रसारण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए सूचना प्रसारण मंत्रालय 2010-2011 के दौरान मोबाइल टेलीविजन की शुरूआत के बारे में एक नीति बना रहा है।


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बाजार में आया टैबलेट फोन


टैबलेट पीसी के इस जमाने में फिक्स्ड लाइन फोन ने भी इसी रूप में अवतार लिया है। टेल्स्ट्रा कंपनी ने दुनिया का पहला टचस्क्रीन टैबलेट फोन पेश किया है। इसमें अन्य खूबियों के साथ फेसबुक, यू-ट्यूबी, एसएमएस और फोटो एप्लीकेशन भी हैं। ये सभी लैंडलाइन पर ही उपलब्ध होंगे। इसकी कीमत है 300 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, यानी करीब 12,500 रुपए।
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फेसबुक, ट्विटर खोलेगा आपके राज

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आपने यदि फेसबुक, ट्विटर या ऑकरुट पर अपने प्रोफाइल में मूल फोटो भी लगाया हुआ है, तो समझिए आपका राज खुल गया। इससे कोई भी अपने मोबाइल पर आपकी तस्वीर खींचकर नाम, फोन नंबर और यहां तक कि घर का पता भी जान सकता है। यह कमाल एक नए सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन का है। इसे अपने मोबाइल में डाउनलोड कर आप किसी भी अजनबी शख्स की तस्वीर खींचने के बाद महज एक बटन दबाने पर उसकी सारी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। यह एप्लीकेशन पांच मेगापिक्सल वाले कैमराफोन में ही काम करता है। इसे बनाने वाले ऑक्सफोर्ड इंटरनैट इंस्टीच्यूट के डॉ. ईयान ब्राउन कहते हैं कि प्रायवेसी सुरक्षित रखनी हो तो उसे सोशल नैटवर्किग साइटों पर जानकारियों को निजी रखना चाहिए।
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दीवारों के आर-पार देख सकेगा मोबाइल

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यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो एक्स-रे के सहारे यह पता लगा सकता है कि दीवार से दूसरी ओर कौन है और वहां क्या हो रहा है। सॉफ्टवेयर के विकासकर्ता क्रिश्चियन सेंडोर ने कहा कि यह एप्लीकेशन फोन के कैमरे के साथ मिलकर काम करता है। इसे डाउनलोड करने के बाद यूजर जब किसी बिल्डिंग की ओर कैमरा घुमाएगा तो उसे उसके अंदर हो रही गतिविधि के बारे में थ्री-डी तकनीक के जरिए सारी जानकारी मिल जाएगी। सॉफ्टवेयर के निर्माताओं ने इस तकनीक के उपयोग के लिए नोकिया कंपनी के साथ समझौता किया है। कंपनी अगले दो साल में इसे बाजार में पेश करेगी।
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You are here: Home > > ऑपेरा मिनी ब्राउजर अब आईफोन में भी

ऑपेरा मिनी ब्राउजर अब आईफोन में भी

aa यूजर्स के भारी दबाव के बाद एप्पल ने ऑपेरा मिनी ब्राउजर को आईफोन में इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है। अब आईफोन यूजर्स ऑपेरा मिनी को सीधे डाउनलोड कर सकेंगे। ऑपेरा मिनी खासतौर पर मोबाइल के लिए ही बना है। यह इंटरनेट के लिए इस्तेमाल होने वाले परंपरागत ब्राउजरों से छह गुना तेज है। इसी को देखते हुए आईफोन यूजर्स लगातार इसे आईफोन का हिस्सा बनाने की मांग कर रहे थे। लेकिन प्रतिद्वंद्वी होने के कारण एप्पल इससे हिचक रहा था। अब आईफोन यूजर्स मुफ्त में एप्पल के एप्लीकेशन स्टोर से ऑपेरा मिनी को डाउनलोड कर सकेंगे। ऑपेरा मिनी आईफोन के डाटा ट्रैपिक को 90 फीसदी तक हटा देता है, जिससे ब्राउजिंस तेज होती है।

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क्या एंटी वायरस ही काफी है




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